प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली में कांग्रेसी पार्षद भी आगे रहे
लुधियाना: हालांकि लोग अकाली सरकार के खिलाफ थे। उन्हें लगता था कि यह टैक्स लगा कर उन्हें मालिक मकान होने के बावजूद किरायेदार बना दिया गया है। उस समय केंद्र में यूं पी ए सरकार थी और अकाली दाल का प्रचार था कि यह टैक्स केंद्र सरकार ने लगवाया है।
ऐसी हालत में कांग्रेस के पार्षद बड़ी गर्मजोशी से कैम्प लगवा रहे थे। यह सरासर पार्टी लाईन का उलंघन था या फिर लोगों के साथ दोगली नीति। इस संबंध में पूछे जाने पर भारत भूषण आशू ने एक वाजिब तर्क दिया कि वह अपने वार्ड के लोगों को इधर-उधर भटकते नहीं देख सकते इस लिए उन्होंने कैम्प लगवाने में सहायता की। पार्षद जय प्रकाश ने भी कहा कि वह अपने वार्ड की जनता से सहयोग कर रहे हैं। इन सभी दलीलों में यह सवाल बार बार नज़र अंदाज़ किया जा रहा था कि कांग्रेस इस टैक्स के हक में है या विरोध में। अगर विरोध में है तो वह इस बात का जवाब क्यों नहीं देती कि टैक्स केंद्र ने लगाया या राज्य सरकार ने? शायद इस देश में वोटरों न
से वोट बटोर लेने के बाद उन्हें बेवकूफ बनाना और नैपकिन की तरह फेंक देना अब एक रिवाज बन चूका है। अगर निकट भविष्य में केंमें एनडीए या भाजपा की सरकार आ गयी तो यही सवाल अकाली सरकार के सामने भी खड़ा होगा। लोग अवश्य पूछेंगे कि अगर केंद्र ने यह टैक्स लगाया तो आपने अब इसे हटाने के लिए क्या कदम उठाये?
लुधियाना: हालांकि लोग अकाली सरकार के खिलाफ थे। उन्हें लगता था कि यह टैक्स लगा कर उन्हें मालिक मकान होने के बावजूद किरायेदार बना दिया गया है। उस समय केंद्र में यूं पी ए सरकार थी और अकाली दाल का प्रचार था कि यह टैक्स केंद्र सरकार ने लगवाया है।
ऐसी हालत में कांग्रेस के पार्षद बड़ी गर्मजोशी से कैम्प लगवा रहे थे। यह सरासर पार्टी लाईन का उलंघन था या फिर लोगों के साथ दोगली नीति। इस संबंध में पूछे जाने पर भारत भूषण आशू ने एक वाजिब तर्क दिया कि वह अपने वार्ड के लोगों को इधर-उधर भटकते नहीं देख सकते इस लिए उन्होंने कैम्प लगवाने में सहायता की। पार्षद जय प्रकाश ने भी कहा कि वह अपने वार्ड की जनता से सहयोग कर रहे हैं। इन सभी दलीलों में यह सवाल बार बार नज़र अंदाज़ किया जा रहा था कि कांग्रेस इस टैक्स के हक में है या विरोध में। अगर विरोध में है तो वह इस बात का जवाब क्यों नहीं देती कि टैक्स केंद्र ने लगाया या राज्य सरकार ने? शायद इस देश में वोटरों न
से वोट बटोर लेने के बाद उन्हें बेवकूफ बनाना और नैपकिन की तरह फेंक देना अब एक रिवाज बन चूका है। अगर निकट भविष्य में केंमें एनडीए या भाजपा की सरकार आ गयी तो यही सवाल अकाली सरकार के सामने भी खड़ा होगा। लोग अवश्य पूछेंगे कि अगर केंद्र ने यह टैक्स लगाया तो आपने अब इसे हटाने के लिए क्या कदम उठाये?